Explainer : पहलगाम हमले के बाद भारत ने आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की तो पाकिस्तान बौखला गया और उसने मिसाइल व ड्रोन से हमले शुरू कर दिए. बीच में आकर अमेरिका ने सीजफायर लागू करवाया लेकिन इसके बावजूद दोनों देशों के बीच जंग के हालात बने हुए हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि इस बीच पाकिस्तान न केवल बाहर बल्कि अंदर भी चैन की सांस नहीं ले पा रहा है. इसकी वजह ये है कि बलूच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान के अंदर ही जंग का ऐलान कर रखा है. इस खबर में हम बात करेंगे कि बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग क्यों होना चाहता है?
बलूचिस्तान पर पाकिस्तान करीब 75 साल से कब्जा करके बैठा है. आजादी के वक्त बलूचिस्तान एक स्वतंत्र रियासत के तौर पर रहना चाहता था. लेकिन 1948 में पाकिस्तानी सेना ने बलपूर्वक इस क्षेत्र को अपने कब्जे में कर लिया. तभी से बलूचों में अलगाव की भावना पनपती रही है जो उग्र रूप लेती जा रही है. बलूच नेता और आम नागरिक कई बार भारत से समर्थन की अपील भी कर चुके हैं.
अब एक बार फिर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ जंग छेड़ दी है. ऐसे में भारत से तनाव के बीच बलूचिस्तान में बढ़ते विद्रोह ने पाकिस्तान को दो मोर्चों पर लड़ाई में झोंक दिया है. एक ओर भारतीय वायुसेना के जवाबी हमले, दूसरी ओर BLA का विद्रोह. ऐसे में पाकिस्तान के लिए यह तय करना मुश्किल हो गया है कि वह भारत से निपटे या बलूचिस्तान को बचाए.
बलूचिस्तान में इसलिए उठ रही है विद्रोह की आवाज
आज बलूचिस्तान के युवा, महिलाएं और लड़ाके पाकिस्तान की फौज के सामने बंदूकें उठाए खड़े हैं. सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? दरअसल, बलूचिस्तान कोई छोटा सा पहाड़ी इलाका नहीं है, ये पाकिस्तान के नक्शे का लगभग 44% हिस्सा है. यह इलाका गैस, कोयला और सोने जैसे खनिज संसाधनों से भरपूर है लेकिन इसका फायदा यहां की स्थानीय जनता को कभी नहीं मिला. यहां के लोगों को न बिजली मिलती है, न पानी और न ही रोजगार. इस क्षेत्र में गरीबी और अशिक्षा चरम पर है. ग्वादर पोर्ट जैसी योजनाएं चीन को फायदा पहुंचा रही हैं, लेकिन बलूचों को उजाड़ रही हैं. पाकिस्तान चीन-पाक इकॉनमिक कॉरिडोर को लेकर इतना अंधा हो गया है कि उसने बलूचों की ज़मीनें हड़प लीं और अब वहाँ चीनियों को बसा रहा है. पाकिस्तान इसे एक उपनिवेश की तरह चला रहा है. यहां के लोगों को विकास से जोड़ने की बजाय लूट रहा है और आवाज़ उठाने वाले लोगों को गायब किया जा रहा है. हर साल सैकड़ों बलूच युवा गायब होते हैं, जिनका कोई सुराग तक नहीं मिलता. बलूचों को महसूस होता है कि वे अपने ही देश में दूसरे दर्जे के नागरिक बन चुके हैं और अब उनके पास केवल एक रास्ता बचा है और वो है आज़ादी.
पाकिस्तानी आर्मी यहां राक्षस की तरह बर्ताव करती है. गाँव के गाँव जलाए जाते हैं, महिलाएं प्रताड़ित होती हैं, और बच्चों तक को नहीं बख्शा जाता. अब ज़रा सोचिए, जब भारत पाकिस्तान को सीमा पर सबक सिखाता है, तो बलूचों को भी आजादी की एक उम्मीद दिखाई देती है. उन्हें लगता है कि अगर कोई दुनिया में है जो पाकिस्तान को रोक सकता है, तो वो भारत है. हाल ही में जैसे ही भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की तो बलूच आंदोलनकारियों ने भी पाकिस्तान की सेना पर हमले शुरू कर दिए. तुरबत, केच, जियारत हर जगह बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और अन्य गुटों ने मोर्चा खोल दिया. ये संकेत है कि पाकिस्तान अब सिर्फ बाहर से नहीं, बल्कि अंदर से भी बिखरने लगा है.
क्या भारत करेगा बलूचिस्तान की मदद?
अब सवाल ये उठता है कि क्या भारत बलूचिस्तान की मदद करेगा? इसका जवाब सीधे तौर पर देना मुश्किल है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में लाल किले से बलूचिस्तान का ज़िक्र कर पूरी दुनिया का ध्यान इस मुद्दे पर खींचा था. भारत बलूचिस्तान की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा रहा है और पाकिस्तान यही बर्दाश्त नहीं कर पा रहा. भारत खुले तौर पर सैन्य मदद नहीं करता, लेकिन बलूच आंदोलनकारियों को ये भरोसा है कि अगर दुनिया में कोई उनकी तकलीफ समझ सकता है, तो वो भारत है. यही वजह है कि जब भारत पाकिस्तान को घेरता है, तो बलूच लोग सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक भारत का समर्थन करते हैं. पाकिस्तान आज दोतरफा आग में जल रहा है. एक तरफ भारत की एयर स्ट्राइक और दूसरी तरफ बलूचिस्तान की बगावत. पाकिस्तान भले ही बलूचों के विद्रोह को दबाता रहे. लेकिन एक बात तो तय है कि जिस मुल्क की जड़ें अंदर से खोखली हो जाएं, वो ज़्यादा दिन तक नहीं टिक सकता.
