Rajasthan : पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार द्वारा सिंधु जल समझौते को स्थगित किए जाने के फैसले ने पश्चिमी राजस्थान की उम्मीदों को जवां कर दिया है. सिंधु, चिनाब, झेलम, रावी, व्यास, सतलुज और घग्गर नदियों का जो पानी अब तक पाकिस्तान की ओर बहता था. अब उन्हीं नदियों के जल को पश्चिमी राजस्थान के किसानों के उपयोग में लाने की संभावना बन रही है. ओसियां विधायक भेराराम सियोल ने इस ऐतिहासिक मौके को भांपते हुए राजस्थान के 50 से अधिक जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इस पत्र में मांग की गई है कि इन नदियों का जल पश्चिमी राजस्थान तक पहुंचाया जाए. इस खबर में हम बात करेंगे कि कैसे सिंधू नदी का पानी पहुंचने से पश्चिमी राजस्थान की किस्मत बदल सकती है?
पश्चिमी राजस्थान में दूर-दूर तक रेतीले धोरे हैं और पीने के पानी के लिए लोगों को कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है. जैसलमेर, बाड़मेर, फलोदी, नागौर, बीकानेर, गंगानगर और सिरोही जैसे जिलों में पानी की किल्लत से लोग अक्सर परेशान रहते हैं. यहां की जनता हर साल तपती धूप में टैंकरों और जोहड़ों की आस में जीती है. किसानों को भी फसलों के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है. ऐसे में अब सिंधु जल समझौते को स्थगित किए जाने के बाद पश्चिमी राजस्थान के लोगों में एक नई उम्मीद जगी है.
पश्चिमी राजस्थान के लिए WRCP बनाने की मांग
भेराराम सियोल ने प्रधानमंत्री मोदी को भेजे गए पत्र में लिखा है कि जब भारत सरकार ने पहलगाम हमले के बाद सख्त रुख अपनाते हुए सिंधु जल समझौता स्थगित किया है, तो अब यह वक्त है कि इस पानी का उपयोग देश के सूखे इलाकों में किया जाए. उन्होंने पश्चिमी राजस्थान के लिए एक नई वेस्टर्न राजस्थान लिफ्ट कैनाल प्रोजेक्ट यानी WRCP बनाने की मांग रखी है. उनका कहना है कि अगर रामसेतु लिंक और ईआरसीपी जैसी परियोजनाएं पूर्वी राजस्थान के लिए लाई जा सकती हैं, तो पश्चिम राजस्थान को क्यों छोड़ा जा रहा है?
सिंधु जल से बदल सकती है पश्चिमी राजस्थान की किस्मत
यदि यह योजना अमल में लाई जाती है तो मरुधरा की तकदीर बदल सकती है. पश्चिमी राजस्थान का अधिकांश क्षेत्र वर्षा पर निर्भर है, जिससे यहां की खेती सीमित क्षेत्रों में होती है. अगर नहरी पानी इन इलाकों तक पहुंचता है, तो कृषि उत्पादन में कई गुना बढ़ोतरी हो सकती है. किसानों को दो वक्त की रोटी के लिए दिल्ली या दूसरे शहरों की तरफ रुख नहीं करना पड़ेगा और वो अपने ही खेतों में रोजगार पाकर सम्मान से जीवन जी सकेंगे.
इस मांग के समर्थन में अब केवल एक विधायक नहीं, बल्कि राजस्थान के तमाम सांसद और विधायक एकजुट हो रहे हैं. किसान, व्यापारी और सामाजिक संगठन सभी चाहते हैं कि सिंधु का जल राजस्थान में बहे और उसका लाभ भारत के सबसे सूखे प्रदेश को मिले. अब सबकी निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर टिकी है कि क्या वे सिंधु जल को मरुस्थल की मिट्टी तक लाने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे? क्या वेस्टर्न राजस्थान लिफ्ट कैनाल प्रोजेक्ट एक हकीकत बनकर उभरेगा. अगर केंद्र सरकार इस मांग को सुनती है तो यह फैसला न सिर्फ पश्चिमी राजस्थान के लिए बल्कि पूरे प्रदेश की खुशहाली के लिए मील का पत्थर साबित होगा.
