Jaipur : जयपुर में पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा ने बवाल मचा दिया है. इसकी वजह है एक ऐसा बयान जिसने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया. कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि लड़कियों की नाभि ढकी रहेगी, तभी सुरक्षा बनी रहेगी. आखिर क्या है इस बयान के पीछे की कहानी? क्यों हो रही है इस पर इतनी तीखी बहस? इस खबर में बात करते हैं इसी बयान की जिसने सोशल मीडिया पर लोगों को दो गुटों में बांटकर रख दिया है.
जयपुर का विद्याधर नगर स्टेडियम इन दिनों आध्यात्मिक रंग में रंगा हुआ है. पंडित प्रदीप मिश्रा की ईसर गौरा शिव महापुराण कथा में लाखों श्रद्धालु उमड़ रहे हैं. 1 मई से शुरू हुई इस कथा में भगवान शिव और माता पार्वती के प्रसंगों के साथ-साथ सामाजिक सुधार पर जोर दिया जा रहा है. लेकिन तीसरे दिन पंडित मिश्रा ने कुछ ऐसा कहा, जिसने सबका ध्यान खींच लिया. उन्होंने महिलाओं से कहा कि वस्त्र ऐसे पहनें कि नाभि ढकी रहे. नाभि ढकी रहेगी, तो सुरक्षा बनी रहेगी. यह बयान तुरंत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोग भड़क उठे. कुछ ने इसे महिलाओं की सुरक्षा के लिए जरूरी सलाह माना, तो कुछ ने इसे महिलाओं की आजादी पर हमला बता दिया.
पहनावे पर जोर देते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि पश्चिमी संस्कृति के छोटे कपड़े अपराध को न्योता देते हैं. उन्होंने तुलसी के पौधे का उदाहरण दिया कि जैसे तुलसी की जड़ दिखने पर पौधा नष्ट हो जाता है, वैसे ही नाभि दिखने से सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है. इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा कि महिलाओं को क्यों टारगेट किया जा रहा? वहीं कुछ ने सवाल उठाया कि क्या पुरुषों की जिम्मेदारी पर भी ऐसी नसीहत दी जाएगी? सोशल मीडिया पर यह चर्चा शुरू तो हो गई लेकिन अब थमने का नाम ही नहीं ले रही है.
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी कथा सुनने पहुंचीं
पंडित मिश्रा की कथा में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, डिप्टी सीएम दीया कुमारी और जयपुर सांसद मंजू शर्मा जैसी हस्तियां भी शामिल हुईं. दीया कुमारी ने इस कथा को जयपुर के लिए सौभाग्य बताया. वहीं पंडित मिश्रा के बयान से समाज में गहरे सवाल उठ खड़े हुए हैं. क्या वाकई पहनावा अपराध की वजह है, या यह सिर्फ गलत मानसिकता को जायज ठहराने की कोशिश है? यह बयान महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर उनकी स्वतंत्रता को सीमित करने की बहस को हवा दे रहा है. इस विवाद ने एक बार फिर साबित कर दिया कि धार्मिक मंचों से दिए गए बयान महिलाओं की स्वतंत्रता पर चोट कर रहे हैं.
