Rajasthan : जयपुर में ACB ने भारत आदिवासी पार्टी के बागीदौरा से विधायक जयकृष्ण पटेल को 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था. अब इस मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जिस विधायक ने कारोबारी से रिश्वत मांगी. वह केवल रिश्वत लेकर संतोष करने वाला नहीं था बल्कि माइनिंग कारोबार में पार्टनर भी बनना चाहता था. इस खबर में हम जानेंगे कि बाप के लाड़ले विधायक जयकृष्ण पटेल कैसे एसीबी के हत्थे चढ़ गए.
ये कहानी है एक ऐसे जनप्रतिनिधि की, जो जनसेवक बनने के बजाय दलाल बन गया. जयकृष्ण पटेल, विधायक बनकर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचा, लेकिन आंखें खनन के करोड़ों रुपयों पर टिकी थीं. रिश्वत ली और ACB की पकड़ में आ गया. ACB ने इस पूरे ऑपरेशन को बेहद शातिर तरीके से अंजाम दिया.
4 अप्रैल को जब परिवादी रवींद्र मीणा ने शिकायत की, तो ACB ने मामले को हल्के में नहीं लिया. सात बार अलग-अलग तरीकों से सत्यापन किया गया, हर बार शिकायत सही पाई गई. वीडियो, ऑडियो रिकॉर्डिंग की गईं, और जब पूरा भरोसा हो गया कि विधायक पैसे ले रहा है, तब 4 मई को ट्रैप बिछाया गया. लेकिन जयकृष्ण पटेल भी कम चालाक नहीं निकला. उसने पैसे लेते ही उन्हें गायब करवा दिया और खुद क्वार्टर से बाहर ही नहीं निकला. ACB की टीमें उसका इंतज़ार करती रह गईं.
नोटों के बैग तक इस तरीके से पहुंची एसीबी
रकम को गायब करने के लिए विधायक की गैंग ने फिल्मी तरीका अपनाया. बैग को जमीन में गाड़ दिया गया. लेकिन ACB की टीम हर एंगल से तैयार थी. उन्होंने नोटों की गड्डियों के बीच GPS चिप फिट कर दी थी. हालांकि आरोपियों ने चिप को रास्ते में निकाल कर अलग फेंक दिया, फिर भी पूछताछ और सुराग के जरिए ACB उस बैग तक पहुंच गई जिसमें 20 लाख रुपए में से 83 हजार रुपए कम मिले. यानी बैग से रकम गायब की जा चुकी थी. इस पूरे घोटाले में विधायक का पीए रोहित मीणा अब तक फरार है. पुलिस उसकी तलाश में लगातार छापे मार रही है, लेकिन वो पकड़ से बाहर है. वहीं ACB ने विधायक जयकृष्ण पटेल को जेल भेज दिया है. लेकिन जांच एजेंसी ने साफ कहा है कि विधायक पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा. पूछताछ में वह न रोहित मीणा की जानकारी दे रहा है, न आरोपियों को पहचानने को तैयार है.
पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कसा तंज
इस मामले में पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने भी तंज कसते हुए कहा कि अभी तो सिर्फ एक विधायक पकड़ा गया है, बाकियों को एक्सपीरियंस है, इसलिए वो बच गए. इस बयान ने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है. क्या वाकई यह सिर्फ एक बागीदौरा का मामला है? या फिर सत्ता के गलियारों में ‘बिल्डर-नेता गठजोड़’ की कई कहानियां दबी हुई हैं. ACB की इस कार्रवाई ने कई चेहरों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, लेकिन जवाब अब अदालत को देना है कि क्या वाकई में जयकृष्ण पटेल रिश्वत कांड में दोषी है या उसे सिर्फ सियासी षड्यंत्र में फंसाया जा रहा है.
