Delhi Election : दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम के रुझानों में भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलता हुआ नजर आ रहा है जबकि आम आदमी पार्टी हारती हुई दिख रही है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर आम आदमी पार्टी चुनाव हारी तो देश की राजनीति पर क्या फर्क पड़ेगा? आइए शुरू से समझते हैं.
आम आदमी पार्टी आंदोलन से निकली हुई पार्टी है. इसका जन्म दिल्ली से हुआ है और केजरीवाल ने 2013 में 28 सीटों के साथ दिल्ली की राजनीति शुरू की थी. लेकिन बाद में 2015 में उन्होंने 70 में से 67 और 2020 में 70 में से 62 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था. अगर इसे दिल्ली में डैमेज हुआ तो यह बिखर जाएगी. इससे जुड़े लोग पेशेवर पॉलिटिशियन नहीं है. जो भी लोग इस पार्टी से जुड़े हैं वो या तो इसकी आइडियोलॉजी की वजह से जुड़े हैं या बीजेपी के विरोध में जुड़े हैं. लेकिन अगर पार्टी हारती है तो बुद्धिजीवि लोग इस पार्टी को छोड़कर चले जाएंगे.
हाल ही में आम आदमी पार्टी के 10 विधायकों ने पार्टी छोड़कर बीजेपी जॉइन की थी. ऐसे में जो भी लोग दूसरी पार्टियों से आए हैं वो आम आदमी पार्टी के चुनाव हारने पर वापस अपनी मूल पार्टी में लौट सकते हैं. इससे पार्टी में दो तीन धड़े भी बन सकते हैं और इस तरह से पार्टी पूरी तरह से बिखर जाएगी.
खास बात ये है कि आम आदमी पार्टी बनने से लेकर आज तक अरविंद केजरीवाल ही इसके केंद्र में रहे हैं. ऐसे में अगर पार्टी हारती है तो इसका ठीकरा भी उनके ही सिर पर फोड़ा जाएगा. इससे अरविंद केजरीवाल की इमेज को तगड़ा झटका लगेगा और इंडिया गठबंधन में उनका महत्व घट जाएगा.
आम आदमी पार्टी का अस्तित्व दिल्ली के कारण ही है. ऐसे में अगर दिल्ली में यह चुनाव हारती है तो पंजाब और गुजरात में भी इसका फर्क पड़ेगा. 2022 में आप ने पंजाब का विधानसभा चुनाव जीता था. वहीं गुजरात में कई जगह पर नंबर दो पार्टी के रूप पहचान बनाई थी. अगर दिल्ली में आप हारी तो दो साल बाद पंजाब में, गुजरात में होने वाले चुनाव में पार्टी का बुरा हश्र हो सकता है.
आम आदमी पार्टी की BJP, कांग्रेस, समाजवादी या कम्युनिस्ट पार्टी की तरह कोई एक आइडियोलॉजी नहीं है. उसका गठन सत्ता में आने के लिए हुआ था और पार्टी के एकजुट रहने के लिए जरूरी है कि वह दिल्ली में चुनाव जीते. आप जिस तरह की राजनीति करती है, उससे BJP को काफी दिक्कत हो रही है. ऐसे में उसे खत्म करने के लिए BJP पूरा जोर लगा देगी. चाहे उसके नेताओं को जेल भेजना हो या दबाव बनाकर पार्टी छुड़वाना, कुल मिलाकर इससे आम आदमी पार्टी में भगदड़ मच जाएगी और इसका असर बाकी विपक्षी पार्टियों पर भी पड़ेगा.
