Politics : प्रशांत किशोर का नाम लेने से राहुल गांधी ने क्यों किया मना?

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Politics : बिहार की राजनीति में कांग्रेस की तैयारी अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है. वोटर अधिकार यात्रा के खत्म होने के 10 दिन बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार की टॉप लीडरशिप के साथ बैठक की. इसमें बिहार कांग्रेस की कोर कमेटी के लीडर शामिल हुए. करीब 3 घंटे तक चली इस बैठक में राहुल गांधी ने सभी सांसदों और नेताओं से विधानसभा चुनाव की तैयारी और सीट शेयरिंग पर बात की। लेकिन इस मीटिंग की सबसे बड़ी सुर्ख़ी बना — कन्हैया कुमार और उनका एक सवाल. बैठक की तस्वीरें भले शांत दिख रही हों, लेकिन अंदर क्या हुआ — वो सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है.

दरअसल, कांग्रेस बार-बार ये मैसेज देने की कोशिश कर रही है कि बिहार चुनाव में कन्हैया कुमार बड़ी जिम्मेदारी निभाएंगे. पहले उन्होंने यूथ कांग्रेस की तरफ से निकाली गई ‘रोजगार दो पलायन रोको’ यात्रा की अगुआई की. अब कोर कमेटी की बैठक में एंट्री से साफ है कि चुनाव में कांग्रेस की नीति तय करने में कन्हैया भी शामिल रहेंगे.

कन्हैया का सवाल बना चर्चा का विषय

बैठक के दौरान जब कांग्रेस की बिहार रणनीति पर चर्चा हो रही थी, तभी कन्हैया कुमार ने प्रशांत किशोर का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर की मुस्लिम समुदाय में बढ़ती पकड़ कांग्रेस के लिए खतरा बन सकती है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर समय रहते कांग्रेस ने ध्यान नहीं दिया, तो अल्पसंख्यक वोटों में सेंध लग सकती है.

राहुल बोले- प्रशांत किशोर का नाम ना लें

कन्हैया की इस बात पर राहुल गांधी ने तुरंत हस्तक्षेप किया. उन्होंने साफ कहा, “प्रशांत किशोर हमारे फोकस में नहीं हैं। कांग्रेस उनकी राजनीति और उनके जन सुराज आंदोलन को कोई महत्व नहीं देती.” राहुल ने पार्टी नेताओं को यह भी हिदायत दी कि प्रशांत किशोर का नाम लेकर कांग्रेस अपनी रणनीति कमजोर न करे. यह बयान न सिर्फ सख्त था, बल्कि यह संदेश भी कि कांग्रेस अपनी दिशा तय कर चुकी है.

क्या प्रशांत किशोर की लोकप्रियता से डर गए राहुल गांधी?

तो सवाल अब यही है कि क्या राहुल गांधी प्रशांत किशोर की बढ़ती लोकप्रियता से वाकई डर गए हैं? या फिर यह सिर्फ कांग्रेस की एक रणनीतिक चुप्पी है ताकि प्रशांत किशोर का नाम लेकर वह उन्हें अनावश्यक महत्व नहीं देना चाहते. क्योंकि राजनीति में जब किसी का ज़िक्र करने से ही मना कर दिया जाए. तो या तो वो वाकई छोटा खिलाड़ी होता है…
या फिर इतना बड़ा कि उसका ज़िक्र भी असर छोड़ जाए. जनता सब देख रही है और बिहार की राजनीति में आने वाले दिनों में यह टकराव और दिलचस्प होने वाला है.

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Author: Thebawal

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