जैसलमेर: मरुस्थलीय जैसलमेर में ओरण और गोचर भूमि को बचाने की लड़ाई तेज हो गई है। गुरुवार को प्रशासन ने बड़ा कदम उठाते हुए रामगढ़ तहसील के कुछड़ी गांव के पास करीब 1000 बीघा ओरण भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया।
सुबह से शुरू हुई कार्रवाई में 5 जेसीबी मशीनों की मदद से तारबंदी, खेत की पट्टियां और फसल हटाई गई। कार्रवाई के दौरान ग्रामीण विरोध भी जताने लगे, लेकिन भारी पुलिस बल और प्रशासनिक टीम की मौजूदगी में माहौल शांतिपूर्ण रहा।
इस कार्रवाई की अगुवाई जैसलमेर एसडीएम सक्षम गोयल और सीओ सिटी रूप सिंह ने की। मौके पर तहसीलदार, पुलिस बल और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
ग्रामीणों में हड़कंप और उम्मीद
लंबे समय से ओरण भूमि पर कब्जों की शिकायतें मिलती रही हैं। कार्रवाई से ग्रामीणों में हड़कंप है, वहीं आंदोलनकारियों और पर्यावरण प्रेमियों को उम्मीद जगी है कि सरकार अब ओरण बचाने के लिए ठोस कदम उठाएगी।
10 दिन से धरना, अब रैली की तैयारी
जैसलमेर कलेक्ट्रेट के बाहर पिछले 10 दिनों से ग्रामीण धरने पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि ओरण और गोचर भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए और स्थायी सुरक्षा सुनिश्चित हो।
अब आंदोलन की अगली कड़ी में 26 सितंबर को गड़ीसर लेक से कलेक्ट्रेट तक जनाक्रोश रैली निकाली जाएगी। इसमें बाड़मेर और बीकानेर से भी लोग शामिल होंगे। शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने भी इस रैली में शामिल होने की घोषणा की है।
ओरण भूमि सिर्फ चारागाह नहीं, बल्कि समाज की धार्मिक आस्था, पशुपालन और मरुस्थलीय पारिस्थितिकी की जीवनरेखा है। पर्यावरण विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि यह भूमि बचाई नहीं गई तो पशुपालन, भूजल स्तर और वनस्पति पर गंभीर असर पड़ेगा।
आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें
•ओरण व गोचर भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए।
•अतिक्रमण हटाकर स्थायी सुरक्षा दी जाए।
•जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय हो।
•भविष्य में इसे किसी विकास या औद्योगिक योजना में शामिल न किया जाए।






