जैसलमेर। मरुस्थलीय जैसलमेर में ओरण और गोचर भूमि को बचाने की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन अब जनांदोलन का रूप ले चुका है। बीते 10 दिनों से कलेक्ट्रेट के सामने जारी धरने के बाद अब यह आंदोलन सड़कों पर उतरने जा रहा है। इसी क्रम में 26 सितंबर को सुबह 11 बजे गड़ीसर लेक से कलेक्ट्रेट तक जनाक्रोश रैली निकाली जाएगी।
10 दिनों से जारी धरना
पर्यावरण कार्यकर्ता सुमेर सिंह के नेतृत्व में ग्रामीण और पर्यावरण प्रेमी लगातार धरने पर बैठे हैं। धरना स्थल पर सुबह-शाम भीड़ जुट रही है। ग्रामीणों का कहना है कि ओरण केवल भूमि का टुकड़ा नहीं, बल्कि गांव की सांस और जीवनरेखा है। यह पशुओं के लिए चारा, हरियाली और पीढ़ियों की धरोहर है।
रैली में बड़ी भागीदारी की तैयारी
आयोजकों का कहना है कि जनाक्रोश रैली प्रशासन और राज्य सरकार को जगाने के लिए आयोजित हो रही है। इसके लिए गांव-गांव जाकर लोगों से अपील की जा रही है। युवाओं और छात्रों की बड़ी भागीदारी की संभावना है।
शिव विधायक का समर्थन
आंदोलन को राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा है। शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी खुद जैसलमेर पहुंचकर रैली में शामिल होंगे। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपील करते हुए कहा—
ओरण और गोचर भूमि हमारी संस्कृति और अस्तित्व का हिस्सा हैं। पर्यावरण बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। ज्यादा से ज्यादा संख्या में जैसलमेर पहुंचें और इस आंदोलन को ताकत दें।”
बाड़मेर और बीकानेर से भी लोग जुड़ेंगे
इस रैली की खासियत यह है कि इसमें केवल जैसलमेर ही नहीं बल्कि बाड़मेर और बीकानेर से भी लोग भाग लेंगे। स्थानीय संगठनों और पर्यावरण प्रेमियों ने सोशल मीडिया और जनसंपर्क के जरिए लोगों को जोड़ने का अभियान चलाया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल एक जिले का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे मरुस्थल का सवाल है।
ओरण और गोचर भूमि का महत्व
•ओरण : सामुदायिक चरागाह और हरित क्षेत्र, जहां धार्मिक आस्था और परंपरा से जुड़े नियमों के चलते पेड़-पौधों को काटना वर्जित होता है।
•गोचर भूमि : गांव के मवेशियों की चराई हेतु आरक्षित भूमि, जिसे ग्रामीण जीवन का आधार माना जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ओरण और गोचर भूमि को नहीं बचाया गया तो मरुस्थलीकरण और जैव विविधता पर गंभीर खतरा मंडराएगा।




