जैसलमेर: में ओरण-गोचर भूमि के संरक्षण की मांग ने जोर पकड़ लिया है। सोमवार को हजारों वन्यजीव प्रेमी, ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और रैली निकालकर प्रशासन को चेताया कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आंदोलन और बड़ा होगा।
स्वांगिया माता मंदिर से कलेक्ट्रेट तक पैदल यात्रा
सुबह स्वांगिया माता मंदिर से विशाल रैली की शुरुआत हुई। इसमें विभिन्न गांवों से आए लोग, पर्यावरण प्रेमी और युवा संगठनों ने भाग लिया। रैली करीब 5 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए जिला कलेक्ट्री कार्यालय पहुंची, जहां जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
ज्ञापन में उठी ये मांगें
ज्ञापन में ओरण भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कराने, अतिक्रमण रोकने और जल-जंगल-जमीन की सुरक्षा सुनिश्चित करने जैसी प्रमुख मांगें शामिल थीं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यदि सरकार सच में पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर है, तो उसे ओरण-गोचर को कानूनी सुरक्षा प्रदान करनी होगी।
ओरण-गोचर का महत्व
ग्रामीणों और वन्यजीव प्रेमियों ने कहा कि ओरण केवल मवेशियों की चराई भूमि ही नहीं, बल्कि वन्यजीवों का सुरक्षित आश्रय भी है। यह मरुस्थल की पारिस्थितिकी, भूजल संरक्षण और सांस्कृतिक परंपराओं से सीधा जुड़ा हुआ है। उनका कहना था कि ओरण के खत्म होने का मतलब है, मरुस्थल की जैव विविधता का संकट में आ जाना।
आंदोलन को मिला जनसमर्थन
हजारों की भीड़ में लोग “ओरण बचाओ – प्रकृति बचाओ” के नारे लगाते रहे। महिलाओं और युवाओं की बड़ी संख्या ने भी रैली में भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो यह आंदोलन प्रदेशव्यापी रूप ले सकता है।



