Rajasthan : राजस्थान की राजनीति में बेबाक और राष्ट्रवादी तेवरों के लिए पहचाने जाने वाले नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की जान को खतरा है. आईबी से इनपुट मिला है कि हनुमान बेनीवाल की जान को गंभीर खतरा है. लेकिन हनुमान बेनीवाल इससे डरे नहीं है. बल्कि वह आतंकियों को और जोर से ललकार रहे हैं. उन्होंने कहा है कि अब वक्त आ गया है पीओके में तिरंगा फहराने का. इस खबर में हम बात करेंगे कि क्या आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल आतंकियों और उनके समर्थकों की आंखों में खटक रहे हैं या फिर ये कोई और साजिश है?
सुरक्षा एजेंसियों को मिले इनपुट के आधार पर सरकार ने हनुमान बेनीवाल की सुरक्षा में उनके जयपुर और नागौर स्थित आवासों पर QRT कमांडो तैनात कर दिए हैं. पुलिस मुख्यालय से मिली रिपोर्ट के मुताबिक, बेनीवाल पर किसी भी समय जानलेवा हमला हो सकता है. शुक्रवार रात से ही उनके चारों ओर सुरक्षा का कड़ा घेरा बना दिया गया है. यह पहली बार नहीं है जब हनुमान बेनीवाल को जान का खतरा बताया गया है. इससे पहले भी कई मौकों पर सुरक्षा एजेंसियों को उनके खिलाफ संभावित हमले के इनपुट मिले थे. लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा के दौरान का माहौल, जब भी खतरा महसूस हुआ है, बेनीवाल की सुरक्षा बढ़ाई गई है.
बेनीवाल ने पीओके पर कब्जा करने की कही बात
हनुमान बेनीवाल ने 24 अप्रैल को जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा था कि अब समय आ गया है कि भारत POK पर कब्जा करे. उन्होंने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा था कि अगर पंजाब में आतंक खत्म हो सकता है, तो कश्मीर में भी हो सकता है. बेनीवाल ने कहा कि हर आतंकी ठिकाने को नेस्तनाबूद करो और POK में तिरंगा फहराओ. क्या यही वो बयान था जिसने आतंकियों और उनके दुश्मनों को बौखला दिया? क्या बेनीवाल अब उनके निशाने पर हैं?
26 अप्रैल से आरएलपी ने जयपुर में शुरू किया आंदोलन
सिर्फ राष्ट्रवाद ही नहीं, बेनीवाल लगातार युवाओं, बेरोजगारों और किसानों की आवाज़ भी उठा रहे हैं. सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द कराने और पेपर लीक माफियाओं पर कार्रवाई की मांग को लेकर RLP ने जयपुर में बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया है. शहीद स्मारक पर चल रहे इस अनिश्चितकालीन धरने में खुद हनुमान बेनीवाल 26 अप्रैल से शामिल हो गए हैं. बेनीवाल ने इस आंदोलन के ऐलान के साथ ही भाजपा सरकार पर भी करारा हमला बोला. उन्होंने कहा कि 2023 के चुनाव से पहले भाजपा ने बेरोजगारों से वादा किया था कि पेपर लीक में लिप्त सभी आरोपियों को जेल भेजा जाएगा और परीक्षा रद्द होगी. लेकिन अब बीजेपी यह वादा भूल चुकी है.
हनुमान बेनीवाल पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, लेकिन वे न तो डरे हैं और न ही पीछे हटने वाले हैं. देशभक्ति और जनहित के मुद्दों पर उनकी स्पष्ट और आक्रामक भाषा ही उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है. बेनीवाल की सुरक्षा बढ़ा दी गई है, लेकिन उनकी आवाज पहले से भी ज्यादा बुलंद है. क्या ऐसे नेताओं को समर्थन मिलेगा जो बिना डरे राष्ट्रवाद और युवाओं के भविष्य की बात करते हैं? या डर और साज़िशों के आगे झुकने वालों को तवज्जो दी जाएगी?
