Manipur : एक समय था, जब यहां प्रेम और भाईचारे की फसल लहलहाती थी, लेकिन अब नफरत की आग ने उसे राख कर दिया है. हिंसा के इस तांडव में न जाने कितनी मासूम जिंदगियां काल के गाल में समा गईं. कुछ अपने घरों से बेघर हो गए, तो कुछ अपने ही अपनों के लिए अजनबी बन गए. कुछ मांओं की कोख सुनी हो गई, बहनों के सिंदूर मिट गए और बच्चों की किलकारियां सिसकियों में तब्दील हो गईं. जी हां, हम बात कर रहे हैं मणिपुर राज्य की जहां 21 महीने से जारी हिंसा के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और अब वहां राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. जैसे ही केंद्र ने राष्ट्रपति शासन की घोषणा की उसके बाद पूरे राज्य में सिक्योरिटी को टाइट कर दिया गया. अब हम जानेंगे कि आखिर मणिपुर में ऐसा क्या हुआ जिसके चलते यहां राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत आ पड़ी?
मणिपुर में हिंसा की शुरुआत मई 2023 में उस समय हुई, जब मैतेई समुदाय ने अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा पाने की मांग की. इससे कुकी और नागा जनजातियों में ये आशंका पैदा हो गई कि अगर मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा मिलेगा तो वे पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन खरीद सकेंगे और इससे उनकी परेशानी बढ़ जाएगी. इस तनाव के बीच ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर ने एक रैली निकाली जिसमें हिंसा भड़क गई और कई लोग मारे गए. इसके बाद से मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है. आए दिन मेतैई और कुकी समुदायों में हिंसा के वीडियो सामने आते रहते हैं और अब तक इसमें 250 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. अब हालात यहां तक जा पहुंचे हैं कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा.
अब कौन करेगा मणिपुर पर राज?
ऐसा नहीं है कि यह फैसला एकाएक लिया गया. इससे पहले मणिपुर के भाजपा प्रभारी संबित पात्रा और विधायकों के बीच कई दौर की चर्चाओं के बावजूद मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर कोई आम सहमति नहीं बन पाई, जिससे सीएम एन बीरेन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा. अब राष्ट्रपति शासन लागू होते ही मणिपुर की सारी प्रशासनिक और सरकारी शक्तियां केंद्र सरकार के हाथों में आ गई हैं. इसके साथ ही राज्य में गवर्नर के माध्यम से केंद्र सरकार शासन करेगी और कोई मुख्यमंत्री या मंत्रिमंडल नहीं होगा. मणिपुर विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक है. ऐसे में राज्य में स्थिति में सुधार होने के बाद भारतीय जनता पार्टी सदन को बहाल करके फिर से अपना मुख्यमंत्री चुन सकती है. हालांकि भाजापा यह जरूर ध्यान रखेगी कि अब किसी ऐसे नेता को सीएम की कमान सौंपी जाए जो सभी समुदायों में विश्वास कायम करके राज्य में शांति और स्थिरता बहाल कर सके.
राहुल गांधी की आई प्रतिक्रिया
मणिपुर के हालात पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने एक्स पर लिखा है कि सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे से पता चलता है कि बढ़ते जन दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव ने उन्हें यह फैसला लेने को मजबूर कर दिया है. अब पीएम मोदी को तुरंत मणिपुर का दौरा करना चाहिए, लोगों की बात सुननी चाहिए और अंत में सामान्य स्थिति वापस लाने की अपनी योजना बतानी चाहिए.
अब यह देखने वाली बात होगी कि राष्ट्रपति शासन के बाद मणिपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अगली रणनीति क्या होगी? क्या वो मणिपुर में शांति स्थापित करके नया मुख्यमंत्री चुनेंगे या अपनी सीक्रेट रणनीति से विपक्षी दलों को चौंका देंगे. हालांकि यह सब भविष्य के गर्भ में है कि मणिपुर में कब तक शांति स्थापित होगी और एक बार फिर से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच भाईचारा स्थापित होगा.
