पूर्व MLA रूपाराम धनदे का बड़ा बयान : फकीर परिवार को दिया सुलह का ऑफर, बोले– पंचायती से सुलझाएं गुटबाजी

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जैसलमेर। राजस्थान की रेगिस्तानी धरती पर राजनीति हमेशा रेत के टीलों की तरह करवट बदलती रही है। अब कांग्रेस के भीतर गहराती गुटबाजी खुलकर सामने आ चुकी है। जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक में पूर्व विधायक रूपाराम धनदे ने एक ऐसा बयान दिया, जिसने स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी। उन्होंने फकीर परिवार से ‘पंचायती’ के जरिए सुलह का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि अब मतभेद भुलाकर संगठन को मजबूत करने का समय है!

दो परिवारों का भूत काड़ो : धनदे

धनदे ने बैठक में कहा – हम दो जनो, दो परिवार—एक धनदे परिवार जिसका मुखिया मैं हूं और दूसरा फकीर परिवार जिसका मुखिया सालेह मोहम्मद हैं। हमारे मित्र गाजी फकीर अब नहीं रहे, झगड़ा इन दोनों के बीच है। तो इस लफड़े का भूत काड़ो। कोई पंच बने तो मैं जनमखान जी को पंच मानता हूं।धनदे ने जोर देकर कहा कि आपसी बुराई और आरोप-प्रत्यारोप से कांग्रेस को नुकसान होगा। “जयपुर में बैठने वाले पंचों के नियम यहां लागू नहीं हो सकते। स्थानीय स्तर पर सुलह होगी तो ही संगठन मजबूत होगा।”

फकीर परिवार का रसूख, धनदे का संघर्ष

जैसलमेर की राजनीति में फकीर परिवार का दबदबा दशकों से रहा है। दिवंगत गाजी फकीर को ‘पश्चिमी राजस्थान का सुल्तान’ कहा जाता था। उनके बेटे सालेह मोहम्मद 23 साल की उम्र में पंचायत समिति प्रधान बने, फिर जिला प्रमुख और विधायक–मंत्री बने। आजादी के बाद जैसलमेर को पहली बार कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिलाने वाले सालेह मोहम्मद ही हैं। परिवार की पकड़ पंचायत से लेकर जिला परिषद तक है।

वहीं, रूपाराम धनदे दलित समुदाय से आते हैं। वे जैसलमेर से विधायक रहे और खेल संगठनों में भी सक्रिय रहे हैं। अपने भाषण में उन्होंने कहा – “मैंने आईएम की नौकरी से शुरुआत की, राजस्थान स्टेट का चीफ इंजीनियर बना। हेल्पर तक को एडजस्ट किया, खुद हथौड़ा–पेचकस तक उठाया।”

गुटबाजी की जड़ और हाल की हलचल

गुटबाजी की शुरुआत 2020 में हुई, जब धनदे के बेटे हरीश धनदे ने बाड़मेर में सालेह मोहम्मद व फकीर परिवार पर हमला बोला। इसके बाद से तनाव लगातार बढ़ा। हाल ही 2025 में पूर्व मंत्री प्रताप खाचरियावास ने फकीर परिवार को ‘देशभक्त’ बताते हुए 1971 भारत–पाक युद्ध का जिक्र किया, लेकिन जमीनी स्तर पर विवाद थमा नहीं। मतदाता सूची में गड़बड़ी, संगठन में दबदबे और टिकट की खींचतान ने आग में घी डालने का काम किया।

 

स्थानीय निकाय चुनाव से पहले धनदे का यह बयान कांग्रेस की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रहा है। क्या सच में ‘पंचायती’ से गुटबाजी खत्म होगी, या यह नया राजनीतिक दांव है—यह देखने वाली बात होगी।

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Author: Thebawal

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