जैसलमेर। नहरी क्षेत्र के किसानों की हालात दिनों-दिन खराब होती जा रही है। सरकार की ओर से किसानों को डिग्गी निर्माण के लिए 3 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा तो की जाती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।
पहले खुद खर्च कर बनानी पड़ती है डिग्गी
नियम के मुताबिक, किसान को पहले खुद अपनी जेब से डिग्गी का निर्माण करना पड़ता है। उसके बाद कृषि विभाग के अधिकारी मौके पर आकर डिग्गी को पास करते हैं और पोस्टिंग पूरी होने के बाद करीब एक महीने के भीतर किसानों के खाते में राशि पहुंचने का दावा किया जाता है।
लेकिन किसानों का कहना है कि इस साल मार्च 2025 के बाद बनी डिग्गियों के बिल तक जनरेट हो गए हैं, इसके बावजूद अब तक किसी किसान के खाते में पैसा नहीं आया है।
कर्ज़ और ब्याज ने तोड़ी कमर
किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार और कृषि विभाग समय-समय पर दबाव बनाते हैं कि अगर तय समय सीमा में डिग्गी नहीं बनी तो स्वीकृति रद्द कर दी जाएगी।
•मजबूरी में किसान सेठ–साहूकारों से 3 से 4 प्रतिशत मासिक ब्याज पर रुपये उधार लेकर डिग्गी का निर्माण कराते हैं।
•जबकि हकीकत यह है कि एक डिग्गी बनाने में 4 से 5 लाख रुपये तक का खर्च आता है।
•सहायता राशि सिर्फ 3 लाख होने के बावजूद किसान कर्ज लेकर काम पूरा करते हैं।
•जब 9–10 महीने तक भुगतान नहीं होता तो किसान पर ब्याज बढ़कर 6–7 लाख रुपये तक का बोझ डाल देता है।
किसानों का कहना है कि इतना भारी कर्ज़ चुकाना असंभव है और कई बार उन्हें अपनी खेती-बाड़ी की ज़मीन तक बेचनी पड़ जाती है।
किसानों की सख्त चेतावनी
किसानों ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर जल्द ही उनकी डिग्गी की राशि खातों में जमा नहीं की गई तो वे सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।
उन्होंने प्रशासन और सरकार को चेतावनी देते हुए कहा –
. समय पर किसानों को उनका हक मिले
. अन्यथा धरना-प्रदर्शन और बड़े पैमाने पर विरोध किया जाएगा।



